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बुधवार, 15 दिसंबर 2010

समानता कि समझ









समानता की समझ

मित्रों नमस्कार

पिछली बार समझ आधारित प्रश्न शीर्षक के अंतर्गत समानता के अधिकार पर आपने एक लेख पढ़ा. इसमे अखबारों में छपे समाचारों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कर यह बताने का प्रयास किया था कि कैसे हम आसपास की घटनाओं से डी एड पाठ्यक्रम को ओर भी बेहतर समझ सकते हैं. इस बार भी मैं आपका ध्यान अखबारों की ओर ले जाना चाहता हूँ. यह समाचार मैंने दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित पत्रिका मधुरिमा से लिया है. इस समाचार को पढते ही मेरा ध्यान डी.एड. प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम तथा इसमे अध्ययनरत छात्राध्यापकों की ओर गया. पाठ्यक्रम में सविधान और मौलिक अधिकारों से सम्बंधित पठन सामग्री जिसमे समानता के अधिकार पर चर्चा की गयी है, इस पर आप आपनी बात को सही ढंग से रखने के लिए देश में बन रहे या संशोधित हो रहे कानूनों पर आपकी नजर जरूर होनी चाहिए. ताकि लगे कि जो कुछ आप कालेजों में पढते हैं, उसे सिर्फ पढते ही नहीं हैं बल्कि उसे आसपास की घटनाओं से जोड़ कर भी देखने की कोशिश करते हैं.

इस समाचार में ‘हक के हाथ हुए मजबूत २०१०’ शीर्षक के अंतर्गत महिलाओं के हक में बन रहे क़ानून और संशोधनों पर ध्यान आकृष्ट किया गया है. अर्थात देश में फैले लिंग आधारित असमानता को समाप्त करने का सिलसिला अनवरत जारी है. जैसे- महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देना, ससुराल में बहु का हक, घरेलु कामकाज करने वाली महिलाओं के हक में बन रहे क़ानून तथा ईसाइयों, मुसलामानों, पारसियों के लिए, उन्हें अभिभावक बनने का हक अनेक ऐसे अहम फैसले है जो समाज में व्याप्त लैंगिग भेदभाव को सामाप्त करने की दिशा में कारगर सिद्ध होने वाली है. आप अपनी समझ के पक्ष में इन उदाहरणों को जरूर प्रस्तुत कर सकते हैं.